New Delhi .सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पैदल यात्रियों के लिए उचित फुटपाथ सुनिश्चित करने के लिए गाइडलाइंस तैयार करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने फुटपाथ को पैदल यात्रियों के लिए संवैधानिक अधिकार बताया। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि फुटपाथों की गैरमौजूदगी में पैदल यात्रियों को सड़कों पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिससे वे हादसों और जोखिमों के शिकार हो जाते हैं।
नागरिकों के लिए सही फुटपाथ होना जरूरी
बहरहाल, बेंच ( Supreme Court ) ने कहा कि नागरिकों के लिए सही फुटपाथ होना जरूरी है। ये इस तरह बने होने चाहिए कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए भी सुलभ हों और अतिक्रमण हटाना जरूरी है। फुटपाथ का इस्तेमाल करने का पैदल यात्रियों का अधिकार संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत संरक्षित है। अदालत में एक अर्जी में पैदल यात्रियों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई थी, जिसमें फुटपाथों की कमी और अतिक्रमण को उजागर किया गया था।
2019 से 2023 तक 1.5 लाख पैदल चलने वालों की मौत
सुप्रीम कोर्ट को य( Supreme Court ) ह बात तब कहनी पड़ रही है जब भारत में पैदल चलने वाले लोगों को सड़कों पर सबसे पहले चलने का अधिकार है। फिर भी वे सबसे ज्यादा खतरे में रहते हैं। पिछले कुछ सालों के आंकड़े बताते हैं कि 2019 से 2023 तक सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.5 लाख पैदल चलने वालों की मौत हो गई।
रोड एक्सिडेंट्स में 21% पैदल चलने वाले मरते हैं-WHO
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों में 21% पैदल चलने वाले होते हैं। भारत में 2023 में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लगभग पांचवें लोग पैदल चलने वाले थे। WHO ने हाल ही में ‘पैदल चलना और साइकिल चलाना’ को बढ़ावा देने के लिए एक टूलकिट जारी किया है। यह टूलकिट सरकारी संस्थाओं के लिए है। यह UN रोड सेफ्टी वीक का हिस्सा है, जिसका विषय है ‘पैदल चलना और साइकिल चलाना सुरक्षित बनाएं’।

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