
हमीरपुर, उत्तर प्रदेश:
जिला प्रशासन की लापरवाही और वीवीआईपी संस्कृति का एक और शर्मनाक मामला सामने आया है। यमुना ब्रिज पर मेंटीनेंस कार्य के चलते आम जनता के लिए आवागमन पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है — चाहे वह चार पहिया वाहन हो, दोपहिया, या पैदल यात्री। लेकिन इसी बीच एक बेहद भावुक और मानवता को झकझोर देने वाला दृश्य सामने आया, जब एक युवक अपनी मां का शव स्ट्रेचर पर लेकर एक किलोमीटर तक पैदल चला, क्योंकि प्रशासन ने पुल पार करने की अनुमति नहीं दी।
मामला सदर कोतवाली क्षेत्र के यमुना ब्रिज का है। मृतका का शव जब अस्पताल से अंतिम संस्कार के लिए घर ले जाया जा रहा था, तब ब्रिज पर लगे बैरिकेट्स के कारण वाहन को आगे नहीं जाने दिया गया। मजबूरन बेटे को शव को स्ट्रेचर पर लेकर एक किलोमीटर तक पैदल पुल पार करना पड़ा।
आम जनता पर रोक, विधायक को स्पेशल एंट्री
जहां आम जनता के लिए ब्रिज पूरी तरह बंद है, वहीं सदर विधायक डॉ. मनोज प्रजापति के काफिले के लिए पुलिस ने बैरिकेट्स हटाकर उन्हें ‘वीआईपी’ एंट्री दी। यह दोहरा मापदंड देखकर लोगों में आक्रोश फैल गया है।
वीडियो वायरल, जिला प्रशासन की किरकिरी
इस अमानवीय घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। इसमें साफ दिख रहा है कि कैसे प्रशासन की नीतियों और वीआईपी प्रोटोकॉल के चलते एक आम नागरिक को अपने मृत परिजन के साथ अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ा।
डीएम के आदेश की उड़ रही धज्जियां
हालांकि जिला अधिकारी घनश्याम मीणा ने यमुना ब्रिज को आम नागरिकों के लिए बंद करने का आदेश दिया था, लेकिन वीआईपी लोगों के लिए यह आदेश काम नहीं करता दिखाई दे रहा। आम लोग जहां प्रशासन की मनमानी से परेशान हैं, वहीं सोशल मीडिया पर लोग जिला प्रशासन और सरकार की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं।
जनता में गुस्सा, न्याय की मांग
स्थानीय लोगों ने इस घटना को लेकर गहरी नाराज़गी जाहिर की है और मृतक परिवार को सम्मान देने तथा दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में प्रशासन की जमकर आलोचना हो रही है।
यह घटना एक बार फिर सवाल खड़ा करती है कि क्या हमारे लोकतंत्र में एक आम नागरिक की पीड़ा की कोई कीमत नहीं रह गई है?
