
भाजपा में इस समय सबसे बड़ा सवाल यही है कि पार्टी की कमान अगली बार किसके हाथ में होगी। भाजपा कार्यकर्ताओं से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों तक सभी की निगाहें पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष पर टिकी हैं। हालांकि अब तक इस विषय पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा द्वारा दो केंद्रीय मंत्रियों—धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव—के नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए RSS को भेजे गए थे, लेकिन इन नामों पर संघ की सहमति नहीं मिल सकी है। दोनों नेताओं को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है, लेकिन संघ की प्राथमिकता कुछ और दिख रही है।
संघ का मत है कि भाजपा को 2029 और उससे आगे की राजनीति के लिए एक मजबूत और दूरदर्शी नेतृत्व की जरूरत है। आरएसएस चाहती है कि पार्टी की कमान किसी ऐसे नेता को दी जाए जो संगठन में जमीनी स्तर पर स्वीकार्य हो और नरेंद्र मोदी के बाद पार्टी को दिशा देने की क्षमता रखता हो। संघ की इच्छा है कि अध्यक्ष केवल औपचारिक पद न होकर एक प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता हो।
अब तक इस मुद्दे पर संघ और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच तीन बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन फिर भी कोई अंतिम सहमति नहीं बन पाई है। चर्चाएं अभी जारी हैं।
महिला अध्यक्ष पर भी विचार, चर्चा में कई नाम
कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया था कि भाजपा अपने इतिहास में पहली बार किसी महिला नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना सकती है। इस कड़ी में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का नाम चर्चा में था। इसके अलावा मनोहर लाल खट्टर और शिवराज सिंह चौहान जैसे अनुभवी नेता भी इस रेस में शामिल बताए जा रहे हैं।
यूपी अध्यक्ष को लेकर भी असमंजस
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन के साथ-साथ भाजपा के सामने एक और बड़ी चुनौती है – उत्तर प्रदेश जैसे विशाल और राजनीतिक रूप से अहम राज्य में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति। सूत्रों के अनुसार, इस मुद्दे पर भी अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच मतभेद बना हुआ है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यूपी भाजपा की कमान किसे सौंपी जाएगी।
