रविवार देर शाम बांके बिहारी मंदिर में पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दर्शन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ के कारण कुछ तनातनी और धक्कामुक्की हुई। गलियों और मंदिर के अंदर की अव्यवस्था का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुआ, जिसमें एएसपी अनुज चौधरी द्वारा एक सेवायत का कालर पकड़ने और मृदुलकांत शास्त्री अपनी बगलबंदी फटने से नाराज दिखाई दिए। इस दौरान मध्य प्रदेश के पुलिसकर्मियों को जमकर कोसा भी। लेकिन सोमवार को इन दोनों ही घटनाओं पर खंडन आ गए।
एएसपी अनुज चौधरी और मृदुलकांत शास्त्री के बयान का सोमवार को आया खंडन
मंदिर सेवायत व उच्चाधिकार प्रबंधन समिति में शामिल दिनेश गोस्वामी ने बताया कि एएसपी अनुज चौधरी द्वारा कालर खींचने की घटना उनके सामने की है। उन्होंने बताया कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री लगभग 150 किमी की पदयात्रा के बाद मंदिर पहुंचे। पहले से तय पांच लोगों की अनुमति थी, लेकिन कुछ बाहरी लोग और यूट्यूबर बिना अनुमति घुसने की कोशिश कर रहे थे। एएसपी अनुज चौधरी और मंदिर सुरक्षा गार्डों ने स्थिति को नियंत्रित किया। अनुज चौधरी ने अव्यवस्था रोकने के लिए काफी देर बाद आवश्यक कार्रवाई की।\
बांके बिहारी मंदिर और गलियों के अंदर भीड़ और तनातनी
दिनेश गोस्वामी ने स्पष्ट किया कि घटना में किसी गोस्वामी या सेवायत के साथ अभद्र व्यवहार नहीं किया गया है। यह व्यवहार उन दो लोगों के साथ हुआ, जो व्यवस्थाएं बिगाड़ने की साजिच रच रहे थे। इसी तरह शिल्पा शेट्टी भी विगत दिन पहले दर्शन करने आईं तो व्यवस्थाें बिगाड़ी गई थीं। उन्होंने कहा कि इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकार प्रबंधन समिति के समक्ष रखेंगे, वहीं एसएसपी को भी यह रिपोर्ट देनी चाहिए। जबकि दूसरे प्रश्न कि मंदिर गलियों में पुलिस-गार्ड में मारपीट हुई तो बोले कि इसकी जानकारी नहीं है।
दूसरी प्रसारित वीडियो में मृदुलकांत शास्त्री अपनी फटी हुई बगलबंदी को लेकर बाहर की पुलिस पर बरसते हुए दिखाई दे रहे थे। रविवार को प्रसारित वीडियो के बाद मृदुलकांत शास्त्री ने कुछ अभद्रता की बात कही थी, लेकिन सोमवार को उनका सुर बदल गया। उन्होंने कहा कि यात्रा सफल रही, दर्शन हुए और प्रशासन ने पूरा सहयोग किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यात्रा का उद्देश्य सनातनी हिंदुओं की एकता थी।
सोमवार को शांतिपूर्ण हुए दर्शन और भीड़ भी रही कम
सोमवार को बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या अपेक्षाकृत कम रही। सनातन एकता पदयात्रा के अधिकांश पदयात्री अपनी यात्रा पूरी कर चुके थे, इसलिए मंदिर खाली रहा। दिनभर हजारों श्रद्धालु आए और आराम से दर्शन किए। पब्लिक धीरे-धीरे और रुक-रुककर चलती रही, जिससे कुछ होल्डिंग बैरियरों के पास थोड़े बहुत भीड़ के हालात बने, लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या काफी सीमित थी। ऐसे में श्रद्धालुओं को सुरक्षित और शांतिपूर्ण दर्शन का अवसर मिला
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