बिहार में चुनाव परिणामों के बीच लालू यादव परिवार में रोहिणी आचार्य और तेजस्वी यादव के विवाद ने हलचल बढ़ाई। इसी तरह यूपी के यादव परिवार में भी पहले विरासत संघर्ष हुआ था। हालांकि अब सब ठीक ठाक चल रहा है। बिहार इन दिनों दो वजहों से चर्चाओं में है। पहली वजह चुनाव परिणाम और दूसरी वजह लालू परिवार की आपसी झगड़ा।
बिहार चुनाव परिणाम आने के बाद लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजद प्रमुख तेजस्वी यादव पर आरोप लगाया कि पार्टी में सवाल उठाने पर चप्पल से पीटने की बात होती है। लालू यादव परिवार में दूसरे नंबर की बेटी रोहिणी आचार्य ने पहले कहा कि उन्होंने परिवार छोड़ दिया। पार्टी छोड़ दी। फिर पटना से निकलते समय कहा कि मुझे परिवार से निकाल दिया। तेजस्वी यादव के दो करीबियों का नाम लेकर कहा कि उनके बारे में बोलने पर चप्पल उठाई जाती है। यूपी में भी लालू यादव के जैसा ही एक राजनीति परिवार है। दोनों में समानता यह है कि यह दोनों ही जनता दल से निकलकर अपने-अपने राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां बनीं। दोनों सजातीय हैं और दोनों एक दूसरे के रिश्तेदार भी।

लालू यादव की तरह मुलायम सिंह यादव के परिवार में भी विरासत का झगड़ा कभी बहुत व्यापाक स्वरूप में पहुंचा। इतना बड़ा कि मुलायम सिंह यादव ने अपने पुत्र अखिलेश यादव को पार्टी से निकाल दिया।
बाद में अखिलेश के चाचा शिवपाल ने अलग पार्टी बनाई। अपेक्षित परिणाम न मिलने पर उन्होंने फिर सपा में वापसी की और 2024 के लोकसभा चुनाव में मिलकर भाजपा से मुकाबला किया।
मुलायम के परिवार के 25 से ज्यादा लोग राजनीति में
यूपी में समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का कुनबा सबसे बड़ा है। परिवार में 25 बड़े चेहरे हैं। आइए आपको बताते हैं कि मुलायम के परिवार में कौन-कौन हैं?
शुरुआत मुलायम सिंह यादव के बाबा से करते हैं। उनका नाम मेवाराम था। मेवाराम के दो बेटे थे। सुघर सिंह और बच्चीलाल सिंह। सुघर सिंह के पांच बेटे हुए। इनमें मुलायम सिंह यादव, रतन सिंह, राजपाल सिंह यादव, अभय राम सिंह और शिवपाल सिंह यादव। भाइयों में मुलायम सिंह तीसरे नंबर और शिवपाल सिंह सबसे छोटे हैं।
भाइयों में मुलायम सिंह तीसरे नंबर पर थे
मुलायम सिंह का जन्म 22 नवंबर 1939 में सुघर सिंह और मां मारूति देवी के घर पर हुआ। पांच भाइयों में मुलायम सिंह तीसरे नंबर पर थे। नत्थू सिंह के संपर्क में आने के बाद मुलायम राजनीति में सक्रिय हो गए।उन्होंने 1967 चुनाव में मुलायम सिंह के नाम की सिफारिश डॉ. राममनोहर लोहिया से कर दी। मुलायम के लिए वह अपनी सीट छोड़ने के लिए तैयार हो गए। मुलायम इस सीट पर नौ बार विधायक बने। बाद में अपने छोटे भाई शिवपाल के लिए उन्होंने यह विधानसभा सीट छोड़ दी।

