एनसीआर के उत्तर प्रदेश वाले हिस्से में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने एक्शन प्लान तैयार किया है। प्रदूषण नियंत्रण के लिए डीजल आटो रिक्शा पर भी सख्ती की जा रही है। गौतमबुद्धनगर और गाजियाबाद में डीजल आटो रिक्शा का संचालन पूरी तरह बंद किया जा रहा है।
बागपत में डीजल आटो का संचालन 31 दिसंबर तक बंद करने का फैसला किया गया है। मेरठ क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण ने प्रतिबंधित वाहनों के लिए नए परमिट जारी करने और परमिट के नवीनीकरण पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर और शामली में डीजल आटो रिक्शा संचालन को 31 दिसंबर 2026 तक चरणबद्ध तरीके से बंद किया जाएगा। सड़क की धूल को प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण मानते हुए मुख्य सचिव एसपी गोयल की अध्यक्षता में बनाई गई इस कार्ययोजना में सड़क खंडों के पुनर्विकास, धूल नियंत्रण और सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने पर विशेष जोर दिया गया है। इस अभियान की निगरानी के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रमुख सचिव को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।
राज्य स्तर पर एक परियोजना निगरानी
राज्य स्तर पर एक परियोजना निगरानी इकाई (पीएमयू) का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता विभाग के सचिव करेंगे। इस इकाई में शहरी विकास, लोक निर्माण, आवास एवं शहरी नियोजन और औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया गया है, ताकि सभी विभाग मिलकर योजना को प्रभावी तरीके से लागू कर सकें। धूल कम करने के लिए नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण एंटी स्माग गन, स्प्रिंकलर और मशीनों से सफाई जैसे आधुनिक उपाय अपना रहे हैं।
सड़क से उड़ने वाली धूल कम करने के लिए इन उपकरणों को प्रमुख स्थानों पर लगाया जा रहा है। इस योजना को एनसीआर- यूपी में वायु गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिससे शहरी क्षेत्रों में रहने वाली बड़ी आबादी को राहत मिलने की उम्मीद है। सरकार का मानना है कि सड़क धूल नियंत्रण, सफाई व्यवस्था को मजबूत करने और डीजल वाहनों पर रोक जैसे कदमों से वायु गुणवत्ता में बड़ा सुधार होगा और एनसीआर-यूपी के लाखों लोगों को प्रदूषण से राहत मिलेगी।
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