पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती के अंतिम दर्शन के लिए अयोध्या में संत-महंतों और नेताओं की भारी भीड़ उमड़ी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की।
सीएम योगी आदित्यनाथ पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती को श्रद्धांजलि देने उनके आश्रम हिंदू धाम पहुंचे। उन्होंने कहा कि वेदांती जी का पूरा जीवन राम के काम में लगा रहा। राम कथा का वाचन करते-करते उन्होंने नश्वर शरीर से मुक्ति ली। राम जन्म भूमि के हर आंदोलन में उनकी सहभागिता रही। वे प्रारंभ से ही मंदिर आंदोलन का हिस्सा रहे। आंदोलन को मूर्त रूप देने में उनका अहम योगदान रहा। 25 नवंबर को भव्य राम मंदिर निर्माण के बाद आयोजित हुए ध्वजारोहण समारोह में वे मौजूद थे, मुझे भी उनके सानिध्य प्राप्त हुआ था। वह एक ऐसे संत थे जिन्होंने सदैव मंदिर निर्माण की आवाज बुलंद की। 1983 से आज तक हर आंदोलन में उनकी मुख्य भूमिका रही। गोरक्ष पीठ से उनका गहरा नाता रहा उनका निधन स्तब्ध करने वाला है।
योगी आदित्यनाथ ने डॉ. राम विलास दास वेदांती को अंतिम प्रणाम किया। उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि के साथ श्रद्धा के सुमन अर्पित किए। इसके पहले एयरपोर्ट से मुख्यमंत्री राम मंदिर पहुंचे। रामलला के दर्शन किए। वहां से हनुमानगढ़ी जाकर हनुमंत लला की आराधना की।
हिंदू धाम आश्रम में बड़ी संख्या में संत, महंत और अनुयायी मौजूद रहे। बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और भाजपा नेताओं की भी उपस्थित रही। अंतिम दर्शन के लिए रामनगरी के हिंदू धाम आश्रम में बड़ी संख्या में संत, महंत और उनके अनुयायियों का जमावड़ा लगा रहा।
प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह, विनय कटियार और लल्लू सिंह, बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी, महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी, अयोध्या विधायक वेद प्रकाश गुप्त, पूर्व महापौर ऋषिकेश उपाध्याय समेत कई अन्य जनप्रतिनिधि और भाजपा के वरिष्ठ नेता श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे।
राम मंदिर आंदोलन में अहम किरदार निभाया था।
प्रदेश के कृषि मंत्री मंत्री सूर्य प्रताप शाही भी पूर्व सांसद व राम मंदिर आंदोलन के अहम किरदार रहे डॉ. रामविलास दास वेदांती को नमन करने पहुंचे। उन्होंने कहा कि डॉ. वेदांती बाल्यावस्था से ही अयोध्या में रहे। राम मंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाने में डॉ. वेदांती ने जो भूमिका निभाई थी, वह कभी भुलाई नहीं जा सकेगी। राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो, इसके लिए उन्होंने देश भर में प्रवास किया।
लोगों को निरंतर जागरूक किया। हिंदुओं में चेतना जगाए रखी। उन्हें शास्त्रों का बेहद अच्छा ज्ञान था। 1989 से लेकर अब तक मुझे डॉ. रामविलास दास वेदांती का सानिध्य प्राप्त हुआ था। वह एक ओजस्वी वक्ता थे। अपने भाषणों से ऊर्जा भरने का काम करते थे।
मंदिर आंदोलन के कार्यक्रमों को विस्तार देने में वे हमेशा आगे रहते थे। वे रामकथा और भागवत कथा के मर्मज्ञ थे। इसके माध्यम से उन्होंने देश भर में मंदिर निर्माण की आवाज बुलंद की। उनका निधन सनातन संस्कृति के लिए गहरा आघात है, उनका योगदान स्वर्ण अक्षरों में दर्ज रहेगा।
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