
प्रयागराज/मथुरा:श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद में शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए हिंदू पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में मांग की गई थी कि मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को “विवादित ढांचा” घोषित किया जाए, जिसे अदालत ने नामंज़ूर कर दिया।
क्या कहा हाईकोर्ट ने?
न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि:
“उपलब्ध तथ्यों और दस्तावेज़ों के आधार पर शाही ईदगाह को इस समय विवादित ढांचा घोषित नहीं किया जा सकता।”
कोर्ट ने फिलहाल अगली सुनवाई की तारीख 2 अगस्त 2025 तय की है।
याचिका में क्या कहा गया था?
हिंदू पक्षकार एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह की ओर से 5 मार्च 2025 को एक एप्लिकेशन दायर की गई थी जिसमें यह दावा किया गया कि:
- 1670 में मुग़ल शासक औरंगज़ेब ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बने मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण करवाया।
- शाही ईदगाह मस्जिद के पास न तो खसरा-खतौनी रिकॉर्ड है, न टैक्स रसीद, न ही कोई वैध दस्तावेज़।
- इस आधार पर इसे “विवादित ढांचा” घोषित किया जाए, जैसा कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद केस में हुआ था।
विवाद का इतिहास
- यह विवाद मथुरा के कटरा केशवदेव क्षेत्र की 13.37 एकड़ ज़मीन से जुड़ा है।
- हिंदू पक्ष का दावा है कि पूरी ज़मीन श्रीकृष्ण जन्मभूमि की है।
- मुस्लिम पक्ष इस दावे को खारिज करता रहा है और कहता है कि मस्जिद वैध भूमि पर स्थित है।
आगे क्या?
इस फैसले के बाद हिंदू पक्ष को झटका लगा है। हालांकि केस की सुनवाई पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। 2 अगस्त को अगली सुनवाई में अन्य दलीलें और दस्तावेज़ पेश किए जाएंगे।
इससे पहले कोर्ट ने 23 मई को दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या है इस फैसले का महत्व?
- यह फैसला मथुरा मामले में प्रारंभिक कानूनी रुख को दर्शाता है।
- हालांकि याचिका खारिज हुई है, लेकिन मुकदमे की मुख्य सुनवाई अभी जारी है।
- इससे हिंदू-मुस्लिम पक्षों के बीच ऐतिहासिक भूमि विवाद में और बहसें तेज़ होने की संभावना है।
