
सीतापुर, उत्तर प्रदेश | 24 जून 2025: उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में प्रेम की मिसाल पेश करते हुए एक मुस्लिम युवती ने अपने हिंदू प्रेमी से वैदिक रीति-रिवाजों के साथ मंदिर में शादी रचाई। दोनों ने मां संकटा देवी धाम मंदिर में अग्नि को साक्षी मानते हुए सात फेरे लिए और जीवनभर साथ निभाने का संकल्प लिया।
ढाई साल का प्रेम, मंदिर में परिणय
जानकारी के मुताबिक, थानगांव थाना क्षेत्र के राजापुर इसरौली गांव निवासी कन्हैया उर्फ काशीराम, पुत्र रामकुमार का दसवांनगर की मुस्लिम युवती मेहरून (अब मोनिका) से पिछले ढाई साल से प्रेम संबंध था। कुछ ही समय पहले जून के पहले सप्ताह में मेहरून अपने प्रेमी कन्हैया के साथ घर से चली गई थी।
एफआईआर और पुलिस कार्रवाई
परिजनों द्वारा काफी तलाश के बाद भी जब युवती नहीं मिली तो थानगांव थाने में युवती के लापता होने की एफआईआर दर्ज कराई गई। इसके बाद पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए मेहरून को ढूंढ निकाला और उसे न्यायालय में पेश किया।
कोर्ट में युवती ने स्पष्ट रूप से प्रेमी कन्हैया के साथ जाने की सहमति जताई, जिसके बाद अदालत ने उसे कन्हैया के सुपुर्द कर दिया।

मंदिर में हुई शादी, लिए सात फेरे
सोमवार को राष्ट्रीय बजरंग दल के कृतार्थ मिश्र और दक्ष पांडेय की मौजूदगी में कन्हैया और मेहरून मां संकटा देवी धाम मंदिर पहुंचे। वहां पुजारी सुरेश मिश्र ने दोनों की शादी वैदिक मंत्रोच्चार और विधि-विधान से करवाई। इस दौरान दोनों ने अग्नि के सामने सात फेरे लिए और मंदिर में माथा टेककर आशीर्वाद लिया।
शादी के बाद दोनों अपने घर लौट गए। पूरे मामले को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ और शादी शांतिपूर्वक तरीके से संपन्न हुई।
प्रेम और सहमति का उदाहरण
यह मामला एक बार फिर दिखाता है कि प्यार और परस्पर सहमति सामाजिक दीवारों को तोड़ सकती है। क़ानून और संविधान ने भी ऐसे संबंधों को मान्यता दी है, बशर्ते दोनों बालिग हों और अपनी मर्जी से साथ रहना चाहें।
निष्कर्ष:
सीतापुर की यह घटना न केवल अंतरधार्मिक प्रेम की मिसाल है बल्कि यह भी दर्शाती है कि क़ानून की निगरानी में परस्पर सहमति से होने वाला विवाह समाज में सकारात्मक संदेश भी देता है।
