आस्था, पवित्रता व सूर्य उपासना के महापर्व “छठ पूजा” की शुरूआत 25 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ शुरू हो जाएगी जो 27 अक्टूबर तक चलेगी। छठ पूजा का चार दिन का पर्व हिंदुओं के लिए बहुत पवित्र और कठोर व्रत माना जाता है। यह पूजा दिवाली के छह दिन बाद होती है। यह पर्व सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया को समर्पित है। इसे खास इसलिए माना जाता है क्योंकि इसमें सूर्य भगवान को डूबते और उगते दोनों समय पूजा जाता है। यह जीवन के चक्र, प्रकृति की ऊर्जा और कृतज्ञता का प्रतीक है।

छठ पूजा 2025 का पूरा चार दिन का कार्यक्रम इस प्रकार है:-
पहला दिन (नहाय खाय): शनिवार, 25 अक्टूबर 2025 – स्नान और एक बार सात्विक भोजन।
दूसरा दिन (खरना या लोहंडा): रविवार, 26 अक्टूबर 2025 – पूरा दिन निर्जला व्रत, शाम को गुड़-चावल की खीर और रोटी का प्रसाद।
तीसरा दिन (संध्या अर्घ्य): सोमवार, 27 अक्टूबर 2025 – शाम को अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है।
चौथा दिन (उषा अर्घ्य और पारण): मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 – सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होता है।

जानें आखिर क्यों खास है छठ के ये चार दिन ? :-
नहाय खाय- छठ पूजा का पहला दिन होता है नहाय खाय। इस दिन व्रती किसी पवित्र नदी में स्नान करके, इस पवित्र व्रत की शुरुआत करती हैं। स्नान के बाद भोजन ग्रहण किया जाता है, जिससे व्रत की शुरुआत हो जाती है। इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 28 मिनट पर होगा और सूर्यास्त शाम 5 बजकर 42 मिनट पर होगा।
खरना- छठ पूजा का दूसरा दिन होता है खरना. खरना को लोहंडा भी कहा जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। शाम के समय व्रती मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर गुड़ की खीर (रसिया) और घी से बनी रोटी तैयार करती हैं। सूर्य देव की विधिवत पूजा के बाद यही प्रसाद सबसे पहले ग्रहण किया जाता है। इस प्रसाद को खाने के बाद व्रती अगले दिन सूर्य को अर्घ्य देने तक अन्न और जल का पूर्ण रूप से त्याग करती हैं।
संध्या अर्घ्य- छठ पूजा का तीसरा और महत्वपूर्ण दिन होता है संध्या अर्घ्य। इस दिन व्रती दिनभर बिना जल पिए निर्जला व्रत रखती हैं। फिर, शाम को व्रती नदी में डूबकी लगाते हुए ढलते हुए सूरज को अर्घ्य देती हैं। इस दिन सूर्य अस्त शाम 5 बजकर 40 मिनट पर होगा।
ऊषा अर्घ्य- इस पूजा का चौथा और आखिरी दिन होता है ऊषा अर्घ्य। इस दिन सभी व्रती और भक्त नदी में डूबकी लगाते हुए उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर होगा। अर्घ्य देने के बाद, 36 घंटे का व्रत प्रसाद और जल ग्रहण करके खोला जाता है, जिसे पारण कहा जाता है।
आपको बता दें कि छठ के यह पर्व विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है
