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बेंगलुरु की लॉ की छात्रा शुभा शंकरनारायणन (21) और बी.वी. गिरिश (27), जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे और Intel कंपनी में कार्यरत थे, की सगाई हुई। यह रिश्ता चार दिन भी ठीक से नहीं चला, क्योंकि 3 दिसंबर 2003 को एक भयावह योजना के तहत मंगेतर की निर्दय हत्या कर दी गई।
हत्या की रात
गिरिश को डिनर और बेंगलुरु के एयर-व्यू पॉइंट पर घुमाने के बहाने ले जाया गया। रात करीब 9:30 बजे, जैसे ही गिरिश अपनी बाइक से वहाँ पहुँचे, एक हमलावर ने उनके सिर पर वार किया। शुभा ने वहां मौजूद लोगों के सामने घबराहट का नाटक किया, लेकिन गिरिश गंभीर रूप से घायल हुए और अगले दिन अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
डिजिटल सबूतों ने खोले राज़
पुलिस जांच में सामने आया कि शुभा उस दौरान लगातार अपने प्रेमी अरुण वर्मा से संपर्क में थी। कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) और मैसेजेस से खुलासा हुआ कि शुभा और अरुण लगातार बात कर रहे थे, यहां तक कि घटना के ठीक पहले और बाद भी। इससे पुलिस को शक हुआ कि यह एक पूर्व नियोजित हत्या है।
साजिश में शामिल थे चार लोग
शुभा और अरुण ने मिलकर गिरिश की हत्या की योजना बनाई थी। इस साजिश में उनके दो और साथी वेंकटेश और दिनाकर भी शामिल थे। उन्होंने गिरिश को रास्ते से हटाने का फैसला इसलिए लिया ताकि शुभा और अरुण साथ रह सकें।
कोर्ट का फैसला
14 जुलाई 2010 को बेंगलुरु की फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने चारों आरोपियों को आपराधिक साजिश, हत्या, और सबूत मिटाने के अपराधों में दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत
लगभग 52 महीने की सजा काटने के बाद, अगस्त 2014 में शुभा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई। कोर्ट ने यह फैसला इस आधार पर सुनाया कि उसने पहले ही पर्याप्त समय जेल में बिताया है।

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फोन कॉल्स और डिजिटल सबूतों ने यह साफ कर दिया कि यह सिर्फ दुर्घटना नहीं बल्कि पूरी तरह से योजनाबद्ध हत्या थी।
शुभा शंकरनारायणन केस बनाम सोनम रघुवंशी केस — दो प्रेम कहानियाँ, दो साजिशें, एक सा अंजाम
1. प्रेम-संबंधों का धोखा
| विषय | शुभा केस (2003) | सोनम केस (2024) |
|---|---|---|
| संबंध | शुभा अपने मंगेतर गिरिश से सगाई के बाद भी प्रेमी अरुण से जुड़ी थी | सोनम की शादी राजा से हुई, लेकिन प्रेमी राज कुशवाह के संपर्क में थी |
| मुख्य मकसद | प्रेमी के लिए मंगेतर को रास्ते से हटाना | पति की हत्या कर प्रेमी से शादी करना |
2. साजिश की योजना
| विषय | शुभा केस | सोनम केस |
|---|---|---|
| साजिश की तैयारी | एयर-व्यू पॉइंट पर हमले की योजना | शिलॉन्ग हनीमून ट्रिप पर हत्या का प्लान |
| योजना में शामिल | शुभा, अरुण वर्मा, वेंकटेश, दिनाकर | सोनम, प्रेमी राज कुशवाह, आकाश, विशाल, आनंद |
3. हत्या की प्रक्रिया
| विषय | शुभा केस | सोनम केस |
|---|---|---|
| हत्या का तरीका | सिर पर वार कर गिरिश को मारना | पहाड़ी पर सुनसान जगह बुलाकर तीन शूटर्स से हत्या कराना |
| हथियार | लोहे की रॉड (संभावित) | ‘डाव’ नामक कुल्हाड़ी, जो गुवाहाटी से खरीदी गई |
4. डिजिटल सबूत और संचार
| विषय | शुभा केस | सोनम केस |
|---|---|---|
| कॉल रिकॉर्ड | शुभा हत्या के समय भी अरुण से बात करती रही | सोनम हत्या से पहले और बाद में प्रेमी राज से लगातार संपर्क में रही |
| साजिश का माध्यम | फोन कॉल, मैसेज | फोन कॉल, नई सिम, एंड्रॉइड और कीपैड फोन से निर्देश |
5. पुलिस कार्रवाई और कानूनी निर्णय
| विषय | शुभा केस | सोनम केस |
|---|---|---|
| गिरफ्तारी | सभी आरोपी गिरफ्तार, कोर्ट ने आजीवन कारावास दिया | सभी आरोपी गिरफ्तार, सोनम को कोर्ट में पेश किया गया, केस जारी |
| कोर्ट निर्णय | 2010 में दोष सिद्ध, 2014 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत | केस नया है, कानूनी प्रक्रिया चल रही है |
6. मुख्य समानताएं
- दोनों मामलों में शादी/सगाई के बाद प्रेमी के लिए हत्या की गई।
- महिला आरोपी ने छल से हत्या की योजना बनाई।
- हत्या पूरी तरह योजनाबद्ध थी — रोमांस के नाम पर विश्वासघात।
- दोनों में फोन रिकॉर्ड और डिजिटल सबूत निर्णायक बने।
- हत्या के पीछे प्रेम + नियंत्रण की मानसिकता और सामाजिक बाधाओं से मुक्ति पाने की कोशिश दिखती है।
निष्कर्ष
शुभा और सोनम दोनों मामलों में प्रेम एक बहाना बना और हत्या एक रास्ता — जिससे ना सिर्फ इंसान मरा बल्कि भरोसा, रिश्ते और कानून की मर्यादा भी टूटी।
