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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का शुक्रवार को कश्मीर की वादियों में तिरंगे के साथ चहलकदमी करना केवल एक सामान्य दौरा नहीं था, बल्कि यह एक सशक्त और रणनीतिक संदेश था। श्रीनगर के ऐतिहासिक लाल चौक, डल झील और आसपास के इलाकों में तिरंगे के साथ प्रधानमंत्री की सैर ने स्पष्ट कर दिया कि जम्मू-कश्मीर अब पूरी तरह से भारत की मुख्यधारा में शामिल है।
मोदी के इस दौरे की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिनमें वह सुरक्षाबलों के साथ खुले वातावरण में राष्ट्रीय ध्वज के साथ नजर आ रहे हैं। सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त के बावजूद आम नागरिकों के बीच इस तरह का आत्मविश्वास भरा दौरा, एक बदले हुए कश्मीर की तस्वीर पेश करता है।
पाकिस्तान की बेचैनी: बयानबाज़ी शुरू
प्रधानमंत्री की इस चहलकदमी से सबसे ज़्यादा असहज पाकिस्तान नजर आ रहा है। वहां के विदेश मंत्रालय ने आपत्ति जताते हुए बयान जारी किया है, लेकिन भारत ने साफ़ कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर उसका आंतरिक मामला है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, प्रधानमंत्री का यह दौरा आगामी लोकसभा चुनावों से पहले एक बड़ा संदेश है — कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद अब कश्मीर में स्थिरता, विकास और विश्वास की वापसी हो रही है।
कश्मीर के लोगों का समर्थन
इस दौरे के दौरान मोदी ने स्थानीय लोगों से बातचीत भी की और कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। स्थानीय युवाओं ने इस दौरे का स्वागत किया, और कइयों ने तिरंगा हाथ में लेकर प्रधानमंत्री के साथ कदमताल की।
निष्कर्ष
मोदी का कश्मीर में तिरंगे के साथ खुले तौर पर घूमना कोई सामान्य राजनीतिक गतिविधि नहीं है। यह एक ठोस कूटनीतिक और राष्ट्रीय संदेश है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, और अब वहां की तस्वीर बदल चुकी है। पाकिस्तान को यह सच्चाई न सिर्फ समझनी होगी, बल्कि स्वीकार भी करनी होगी।
