
12 जून 2025 को एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 ने अहमदाबाद से लंदन गैटविक के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन टेकऑफ के महज एक मिनट बाद ही विमान एक इमारत से टकरा गया और भयानक दुर्घटना में तब्दील हो गया। इस दर्दनाक हादसे में विमान में सवार 241 यात्रियों और क्रू मेंबर्स की मौत हो गई। वहीं, क्रैश साइट पर मौजूद कई लोग भी चपेट में आ गए। कुल मृतकों की संख्या 265 पहुंच चुकी है।
इस भयावह मंजर में केवल एक यात्री बच पाया — 40 वर्षीय विश्वास कुमार रमेश, जो भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक हैं और अपने भाई अजय के साथ भारत से लंदन लौट रहे थे। फिलहाल सिविल अस्पताल में भर्ती विश्वास ने इंडिया टुडे और एचटी से बातचीत में क्रैश के उन दिल दहला देने वाले लम्हों को साझा किया।
“एक झटका, फिर गड़गड़ाहट और अचानक सब कुछ खत्म…”
विश्वास ने बताया, “टेकऑफ के ठीक बाद, लगभग 5 से 10 सेकेंड के लिए लगा कि कुछ अटका। फिर ग्रीन और वाइट लाइट्स ऑन हो गईं। प्लेन को जबरदस्त रेस दिया गया और तभी सीधा स्पीड में हॉस्टल जैसी किसी इमारत से टकरा गया। सब कुछ मेरी आंखों के सामने हुआ।”
“मैं जिस जगह गिरा, वहीं से निकलने का रास्ता मिला”
उन्होंने कहा, “मैं जिस साइड में बैठा था, वो हिस्सा इमारत पर नहीं बल्कि जमीन पर गिरा था। वहां थोड़ा स्पेस था, जहां से बाहर निकलना संभव हुआ। जैसे ही गेट टूटा, मुझे थोड़ी सी जगह दिखी और मैंने निकलने की कोशिश की — और बच निकला। प्लेन का दूसरा हिस्सा दीवार से टकरा गया, शायद वहां कोई नहीं बच पाया।”
“सबकी लाशें थीं, लगा मैं भी मर गया हूं”
भावुक होते हुए विश्वास ने कहा, “मैं जब होश में आया, तो मुझे लगा मैं मर गया हूं। चारों तरफ लाशें थीं — एयरहोस्टेस, अंकल-आंटी सब खत्म हो चुके थे। लेकिन जब आंखें खुलीं, तो मैं खुद को जिंदा पाया और भागा। इसी दौरान मेरा हाथ जल गया।”
विश्वास इस समय गंभीर रूप से घायल हैं लेकिन खतरे से बाहर हैं। उनका इलाज जारी है।
जांच जारी, ब्लैकबॉक्स की रिपोर्ट का इंतजार
फिलहाल हादसे की असल वजह सामने नहीं आई है। डीजीसीए, एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो और अन्य एजेंसियां ब्लैकबॉक्स और तकनीकी पहलुओं की जांच कर रही हैं। उम्मीद है कि विस्तृत रिपोर्ट के बाद यह साफ हो पाएगा कि हादसा मानवीय भूल थी, तकनीकी खराबी या फिर कोई बाहरी कारण।
यह भारत के एविएशन इतिहास की सबसे बड़ी और सबसे दर्दनाक त्रासदियों में से एक बन चुकी है।
