
उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने देश की सियासत में हलचल जरूर मचाई थी, लेकिन अब यह मामला धीरे-धीरे ठंडा पड़ता नजर आ रहा है। इस्तीफे के तुरंत बाद उन्होंने अपने निजी सामान समेटने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी। हैरानी की बात यह है कि न तो सरकार ने इस मुद्दे पर अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया दी है और न ही विपक्ष ने इस विषय को प्रमुखता से उठाया। संसद में विपक्ष की प्राथमिकता अब बिहार SIR मुद्दे पर नारेबाजी और विरोध प्रदर्शनों पर केंद्रित हो गई है।
धनखड़ अब भी चुप्पी साधे हुए हैं
धनखड़ ने इस्तीफे के बाद से मीडिया से कोई संवाद नहीं किया है। इस बीच सरकार ने नए उपराष्ट्रपति की खोज तेज कर दी है। ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्रा से वापसी के बाद नए नाम की घोषणा हो सकती है। सूत्रों की मानें तो धनखड़ के लिए अब एक नए सरकारी आवास (टाइप-8 बंगला) की व्यवस्था की जा रही है।
क्या थी इस्तीफे की असली वजह?
सूत्रों के मुताबिक, धनखड़ का इस्तीफा महज स्वास्थ्य कारणों का परिणाम नहीं था। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि विपक्ष द्वारा जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ दी गई याचिका स्वीकार किए जाने के बाद, सरकार उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में थी। ऐसा होने पर यह प्रस्ताव NDA के संख्याबल के चलते आसानी से पारित हो सकता था। इस खतरे की जानकारी धनखड़ को राज्यसभा सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के माध्यम से सोमवार को मिली थी — या तो तत्काल इस्तीफा दें, या अगले दिन अविश्वास प्रस्ताव का सामना करें।
इस संदेश के बाद धनखड़ ने टकराव का रास्ता नहीं चुना और सीधे राष्ट्रपति भवन जाकर अपना इस्तीफा सौंप दिया। बताया गया कि इस घटना के बाद सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे थे और उन्होंने उसी शाम हुई बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया।
विपक्ष भी खोज रहा अपना उम्मीदवार
वहीं विपक्षी INDIA गठबंधन भी आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर रणनीति बनाने में जुट गया है। सूत्रों के अनुसार, संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर विचार किया जा रहा है। गठबंधन के एक प्रमुख नेता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि भले ही परिणाम विपक्ष के पक्ष में न आएं, लेकिन साझा उम्मीदवार उतारना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संदेश देगा।
हालांकि, जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर सवाल और अटकलें लगातार जारी हैं।
