
सावन माह शिवभक्तों के लिए विशेष आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व रखता है। इस महीने में भगवान शिव की भक्ति, उपासना और व्रत करने की परंपरा है। यही वह समय होता है जब कांवड़ यात्रा का आयोजन होता है — एक ऐसी यात्रा जो आस्था, निष्ठा और आत्मशुद्धि का प्रतीक बन चुकी है।
क्या है कांवड़ यात्रा?
कांवड़ यात्रा भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र वार्षिक तीर्थयात्रा है, जिसमें श्रद्धालु (कांवड़िये) विभिन्न तीर्थस्थलों जैसे हरिद्वार, गंगोत्री, ऋषिकेश, गोमुख और सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर अपने स्थानीय शिव मंदिरों तक पदयात्रा करते हैं। वहां वे शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।
इस यात्रा के दौरान वातावरण ‘हर-हर महादेव’ और ‘बम-बम भोले’ के नारों से गूंज उठता है। एक मान्यता के अनुसार, सबसे पहली कांवड़ यात्रा भगवान परशुराम ने की थी। तभी से यह परंपरा जीवंत है और हर वर्ष लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेते हैं।
कांवड़ यात्रा 2025 कब से शुरू होगी?
सावन मास 2025 की शुरुआत 11 जुलाई 2025, शुक्रवार से हो रही है और इसका समापन 9 अगस्त 2025 को होगा।
- इसी के साथ कांवड़ यात्रा भी 11 जुलाई 2025 से आरंभ हो जाएगी।
- यह यात्रा पूरे 30 दिनों तक चलेगी।
कांवड़ यात्रा के नियम – क्या करें, क्या न करें?
कांवड़ यात्रा करते समय भक्तों को कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है:
- शुद्धता बनाए रखें: कांवड़िये को मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहना चाहिए। यात्रा के दौरान संयम और सादगी से रहना जरूरी है।
- नशे से दूरी: शराब, सिगरेट, गुटखा, पान, तंबाकू आदि नशीले पदार्थों का पूरी तरह त्याग करना चाहिए।
- कांवड़ को जमीन पर न रखें: यात्रा के दौरान कांवड़ को कभी भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो फिर से जल भरकर यात्रा दोबारा शुरू करनी पड़ती है।
- स्नान के बिना स्पर्श न करें: मल-मूत्र त्याग के बाद स्नान करके ही कांवड़ को फिर से उठाना चाहिए। बिना स्नान के स्पर्श करना वर्जित है।
- चमड़े से बनी वस्तुओं से दूरी: कांवड़ यात्रा के दौरान किसी चमड़े की वस्तु को नहीं छूना चाहिए, जैसे बेल्ट, जूते आदि।
कांवड़ यात्रा में श्रद्धालु क्या करते हैं?
- कांवड़िये पवित्र तीर्थस्थलों से गंगा जल लेकर पैदल यात्रा करते हैं।
- यह यात्रा कई बार सैकड़ों किलोमीटर लंबी होती है, जिसमें भक्त पूरी श्रद्धा से चलते हैं।
- वे अपने गंतव्य (स्थानीय शिवालय या ज्योतिर्लिंग) पर पहुंचकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
- यह यात्रा सामूहिक भक्ति, अनुशासन और तपस्या का उदाहरण मानी जाती है।
निष्कर्ष
Sawan Kanwar Yatra 2025 केवल एक तीर्थयात्रा नहीं, बल्कि आत्मिक अनुशासन और भक्ति की चरम अभिव्यक्ति है। अगर आप इस यात्रा में भाग लेने की योजना बना रहे हैं, तो ऊपर दिए गए नियमों और जानकारियों का पालन अवश्य करें।
महादेव की भक्ति में लीन ये यात्रा हर वर्ष भक्तों के जीवन को नई ऊर्जा और आध्यात्मिक संतुलन प्रदान करती है।
