Delhi : कारगिल विजय दिवस की 26 वीं वर्षगांठ के अवसर पर सैन्य अधिकारी कारगिल युद्ध में अपने प्राण न्योछावर कर सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर सैनिकों के परिवारवालों से मुलाकात कर उन्हें सम्मानित कर रहे हैं। इसके अलावा सेना नागरिकों को अवगत भी करा रही है कि इन वीर सपूतों ने अदम्य साहस और शौर्य की पराकाष्ठा दिखाते हुए किस प्रकार मां भारती के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।
मंगलवार को भारतीय सेना के अधिकारी नोएडा स्थित भारतीय सेना के कैप्टन और वीर चक्र से सम्मानित विजयंत थापर के घर पहुंचे। यहां सैन्य अधिकारियों ने उनके पिता व भारतीय सेना के सेवानिवृत्त कर्नल वीएन थापर से मुलाकात की। सेना के अधिकारियों ने कारगिल युद्ध में शहीद हुए कैप्टन विजयंत थापर के माता पिता को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
सेना ने अपने भावों को दर्शाया है
सेना के मुताबिक, कारगिल युद्ध के सभी वीर सेनानियों के घर-घर जाकर सेना सम्मानपूर्वक स्मृति चिह्न भेंट कर रही है। भारतीय सेना के अधिकारियों का कहना है कि इसके जरिए हमने अपने भावों को दर्शाया है कि हम अपने वीर साथियों को कभी नहीं भूलते और न कभी भूलेंगे। यह हमारा कर्तव्य है कि हम उनके परिजनों को बताएं कि हमारे वीर सेनानियों का बलिदान व्यर्थ नहीं गया है। हमारे वीर बलिदानियों का परिवार अकेला नहीं है, भारतीय सेना उसका परिवार है और पूरी भारतीय सेना हमेशा उनके साथ खड़ी है।
545 परिवारों तक पहुंचेंगे सेना के अफसर
गौरतलब है कि कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों के 545 परिवारों से सेना के प्रतिनिधि मुलाकात कर रहे हैं। कारगिल विजय दिवस यानी 26 जुलाई तक इन सभी शहीदों के परिजनों से मुलाकात की जाएगी। 26 जुलाई 2025 तक चलने वाले दो माह लंबे समारोह में उन बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाएगी, जिन्होंने राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
1999 में हुआ था कारगिल युद्ध
वर्ष 1999 में ‘ऑपरेशन विजय’ की सफलता और दुश्मन से कारगिल की चोटियों को पुन प्राप्त करने की याद में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। यह दिन न केवल सैन्य जीत का प्रतीक है, बल्कि राजनीतिक, कूटनीतिक और सामरिक संतुलन का उदाहरण भी है। यहां कारगिल में भारत ने युद्ध को सीमित रखने की रणनीति अपनाते हुए वीरता और संयम का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया था।
