इस साल, 18 अक्टूबर 2025 को धनतेरस मनाई जाएगी। धनतेरस की त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर शुरू होकर 19 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 53 मिनट तक रहेगी। शुभ मुहूर्त शाम 7:11 बजे से रात 8:35 बजे तक रहेगा और इसी अवधि में खरीदारी भी की जा सकती है।
सनातन शास्त्रों में निहित है कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक भी कहा जाता है। भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है।
हर साल कार्तिक महीने में धनतेरस का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व भगवान धन्वंतरि को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान धन्वंतरि की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही स्वर्ण और चांदी से निर्मित आभूषणों की खरीदारी की जाती है।ज्योतिष शास्त्र में धनतेरस के दिन विशेष उपाय करने का भी विधान है। इन उपायों को करने से आर्थिक तंगी दूर हो जाती है। अगर आप भी आर्थिक विषमता दूर करना चाहते हैं, तो धनतेरस के दिन नमक से जुड़े ये उपाय जरूर करें।
धनतेरस दिवाली पर्व की शुरुआत का पहला दिन माना जाता है। इसे ‘धनत्रयोदशी’ भी कहा जाता है, जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। इसधनत वर्ष धनतेरस 18 अक्तूबर 2025 को मनाई जा रही है। इस दिन खरीदारी का विशेष महत्व है। धनतेरस समृद्धि का पर्व है, ये तो सभी को पता है, लेकिन क्या आपको ज्ञात है कि धनतेरस मनाने की शुरुआत क्यों हुई? आइए जानते हैं धनतेरस मनाने की वजह, इसकी पौराणिक कथा क्या है और माता लक्ष्मी के अलावा धनतेरस पर किस भगवान की पूजा की जाती है? धनतेरस पर्व मनाने से पहले आपको इस दिन के धार्मिक और पौराणिक महत्व के बारे में जान लेना चाहिए।
धनतेरस पर किस भगवान की पूजा होती है?
दीपावली पर्व माता लक्ष्मी की पूजा का पर्व है। धनतेरस पर भी मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। लेकिन इस दिन भगवान धन्वंतरि और भगवान कुबेर की पूजा का भी विशेष महत्व है। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक और देवताओं के वैद्य हैं। उन्हें विष्णु भगवान का अवतार भी माना जाता है। वहीं कुबेर जी धन के देवता है।
धनतेरस पर पूजा
घर की सफाई कर उत्तर-पूर्व दिशा में पूजा स्थल सजाएं। भगवान धन्वंतरि, देवी लक्ष्मी और कुबेर देव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। दीपक जलाकर, फूल, मिठाई और धूप अर्पित करें। साथ ही धन्वंतरि स्तोत्र या लक्ष्मी मंत्र का जाप करें। इस दिन नई वस्तु या धातु का सामान खरीदें और उसे पूजन में शामिल करें।
