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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को लखनऊ में ‘जनता दर्शन’ कार्यक्रम का आयोजन किया, जहां प्रदेश भर से आए करीब 65 से अधिक पीड़ितों ने अपनी समस्याएं रखीं। लेकिन इस बार एक मासूम बच्ची की फरियाद ने हर किसी का ध्यान खींच लिया।
बच्ची ने कहा – “मुझे स्कूल में एडमिशन चाहिए”
‘जनता दर्शन’ में वाशी नाम की एक छोटी बच्ची अपने माता-पिता के साथ मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची। जब उसकी बारी आई, तो उसने मासूमियत से कहा –
“योगी जी, आप मेरा स्कूल में एडमिशन करवा दीजिए।”
इस पर सीएम योगी ने मुस्कुराते हुए पूछा कि
- किस स्कूल में पढ़ना चाहती हो?
- किस क्लास में एडमिशन चाहिए?
वाशी ने जवाब दिया और सीएम ने तुरंत अधिकारियों को निर्देश दिया कि उसका एडमिशन उसकी पसंद के स्कूल में करवाया जाए।
वायरल हुआ वीडियो, सीएम योगी का मानवीय चेहरा आया सामने
इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। लोगों ने योगी आदित्यनाथ के संवेदनशील और बच्चों के प्रति स्नेही व्यवहार की सराहना की है।
वाशी ने बातचीत के बाद बताया –
“मैं मुरादाबाद से आई हूं। योगी जी ने मुझे बिस्किट और चॉकलेट दी और कहा कि स्कूल में दाखिला हो जाएगा।”
जनता दर्शन में मिले 65 से ज्यादा फरियादी
- मुख्यमंत्री योगी ने सभी पीड़ितों से स्वयं मिलकर उनकी समस्याएं सुनीं।
- प्रत्येक व्यक्ति का प्रार्थना पत्र लिया और त्वरित समाधान के निर्देश संबंधित विभागों को दिए।
- खासकर पुलिस, राजस्व, शिक्षा, चिकित्सा, आंगनबाड़ी और कब्जे से संबंधित शिकायतों पर सीएम ने विशेष ध्यान दिया।
अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश
सीएम योगी ने अधिकारियों से कहा –
“हर पीड़ित की समस्या पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए। इसमें हीलाहवाली बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
उन्होंने यह भी दोहराया कि
“उत्तर प्रदेश सरकार हर नागरिक की सेवा, सुरक्षा और सम्मान को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।”
बच्चों को दिया प्यार, चॉकलेट और आशीर्वाद
मुख्यमंत्री ने ‘जनता दर्शन’ में आए बच्चों से व्यक्तिगत रूप से बातचीत की,
- उनकी पढ़ाई के बारे में पूछा,
- उन्हें चॉकलेट और बिस्किट दिए,
- और उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
निष्कर्ष: जनता दर्शन में दिखा प्रशासन का मानवीय चेहरा
इस जनता दर्शन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि योगी सरकार नागरिकों की समस्याओं को गंभीरता से सुनती है और त्वरित समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। मासूम बच्ची की स्कूल में दाखिले की मांग पर तुरंत हुई कार्रवाई ने न सिर्फ संवेदनशीलता दिखाई, बल्कि शासन और जन संवाद के बीच एक मजबूत पुल भी बनाया।
