
कुमाऊं क्षेत्र में सरकारी स्कूलों के एकीकरण (मर्ज) की क्लस्टर योजना को लेकर विरोध की लहर फैलती जा रही है। हल्द्वानी में मंगलवार को परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछासं) ने एसडीएम कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी करते हुए प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा, जिसमें सरकार से मांग की गई कि स्कूल बंद करने जैसी नीति को तुरंत रोका जाए।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत प्रदेश सरकार कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों को एकजुट कर ‘क्लस्टर स्कूल’ बनाने की योजना पर काम कर रही है, जिससे हजारों स्कूल बंद होने की आशंका है। सरकार इसे संसाधनों के बेहतर उपयोग और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के तौर पर पेश कर रही है, लेकिन विरोध करने वालों का कहना है कि यह ग्रामीण व पहाड़ी क्षेत्रों के बच्चों—विशेषकर गरीब और लड़कियों—के शिक्षा के अधिकार को खतरे में डाल देगा।
प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि स्कूलों के बंद होने से न केवल बच्चों की पहुंच शिक्षा तक कम हो जाएगी, बल्कि भोजनमाताओं और शिक्षकों की आजीविका पर भी गहरा असर पड़ेगा। उन्होंने सभी के लिए समान, वैज्ञानिक और मुफ्त शिक्षा प्रणाली लागू करने की मांग रखी।
भवाली में भी अभिभावकों का विरोध
राजकीय इंटर कॉलेज भूमियाधार, भवाली में अभिभावकों ने मंगलवार को एक बैठक की, जिसकी अध्यक्षता पीटीए अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद आर्या ने की। उन्होंने साफ कहा कि वे अपने विद्यालय को किसी भी क्लस्टर योजना में शामिल नहीं होने देंगे। सरकार इस स्कूल को 12 किलोमीटर दूर स्थित नैनीताल जीआईसी क्लस्टर में शामिल करना चाहती है, लेकिन स्थानीय लोग अपने बच्चों को इतनी दूर भेजने के लिए तैयार नहीं हैं।
पहाड़ी जिलों में व्यापक विरोध
क्लस्टर नीति के खिलाफ विरोध अब केवल शहरों तक सीमित नहीं रहा। पिथौरागढ़ के कनालीछीना, बेरीनाग, गंगोलीहाट, डीडीहाट और अल्मोड़ा जिले के भैसियाछाना, लमगड़ा, धौलादेवी, द्वाराहाट, ताड़ीखेत, चौखुटिया, स्याल्दे, भिकियासैंण, सोमेश्वर और सल्ट क्षेत्रों में भी ग्रामीणों और अभिभावकों ने जमकर विरोध दर्ज कराया है।
चंपावत जिले के पाटी और बाराकोट ब्लॉकों में भी ग्रामीण प्रदर्शन कर चुके हैं। विरोध का स्वर अब राज्यव्यापी आंदोलन का रूप लेता दिख रहा है।
