
हरियाली तीज और हरतालिका तीज, दोनों ही पर्व भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होते हैं। सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है, जबकि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया पर हरतालिका तीज का पर्व आता है। इन दोनों व्रतों का उद्देश्य सौभाग्य, सुखद वैवाहिक जीवन और इच्छित वर की प्राप्ति होता है, इसलिए अविवाहित कन्याएं और विवाहित महिलाएं दोनों ही इसे श्रद्धा से करती हैं।
मुख्य अंतर:
- हरियाली तीज उस दिन को दर्शाती है जब देवी पार्वती को उनके तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने अपना जीवनसाथी स्वीकार किया। इस दिन विवाहित महिलाएं हरे वस्त्र और सोलह श्रृंगार करके व्रत करती हैं। मान्यता है कि यह व्रत पति की लंबी उम्र और दांपत्य सुख प्रदान करता है।
- हरतालिका तीज का महत्व इस बात से जुड़ा है कि माता पार्वती ने कठोर तप कर भगवान शिव को पति रूप में पाने की कामना की थी। उन्होंने रेत से शिवलिंग बनाकर उसकी आराधना की थी। यह व्रत कठिन माने जाते हैं क्योंकि इसे निर्जल और निराहार रहकर किया जाता है। इसका उद्देश्य अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होता है।
व्रत की तिथियां:
- हरियाली तीज: 27 जुलाई 2025 (शनिवार)
- हरतालिका तीज: 26 अगस्त 2025 (मंगलवार)
