
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाज में जातीय तनाव फैलाने वाले और कानून को अनदेखा कर दूसरों के लिए संकट खड़ा करने वाले लोगों को कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब ऐसी हरकतें कतई बर्दाश्त नहीं होंगी। उन्होंने जौनपुर की एक घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि ताजिया जुलूस के दौरान तय मानकों की अनदेखी करना तीन लोगों की मौत का कारण बना और उसके बाद कुछ लोगों ने रास्ता रोककर उपद्रव किया।
योगी ने कहा, “सावन से ठीक पहले मोहर्रम का पर्व आता है। हमने ताजियों की ऊंचाई को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे ताकि हाईटेंशन बिजली लाइनों से खतरा न हो। अगर हम एक आयोजन के लिए पूरे इलाके की बिजली काट देंगे तो यह उन लोगों के साथ अन्याय होगा जो ईमानदारी से बिल भरते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “कुछ लोग बिना अनुमति के जुलूस निकालते हैं, सड़कों को नुकसान पहुंचाते हैं, पेड़ों की टहनियां काट देते हैं। ऐसा नहीं चल सकता। जौनपुर में ताजिए की ऊंचाई को लेकर चेतावनी दी गई थी, फिर भी नियम तोड़े गए। नतीजतन तीन लोगों की जान चली गई। जब बाद में रास्ता रोका गया, तो मैंने पुलिस से साफ कहा—इन पर सख्ती करो, लाठी चलाओ, क्योंकि ये लोग सिर्फ डंडे की भाषा समझते हैं।”
फेक अकाउंट से जातीय नफरत फैलाने वालों पर हमला
वाराणसी में भगवान बिरसा मुंडा पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन में बोलते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कुछ लोग छद्म पहचान के जरिए समाज में जातिगत तनाव फैलाने की साजिश रचते हैं। उन्होंने कहा, “फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट से एक जाति को दूसरी जाति के खिलाफ भड़काया जाता है।”
उन्होंने तीन साल पुरानी एक घटना को याद करते हुए बताया कि उस समय एक व्यक्ति ने केसरिया गमछा पहनकर आगजनी की थी, ताकि हिंदू समुदाय की एक जाति को बदनाम किया जा सके। लेकिन जब उसका गमछा गिरा तो उसकी असली पहचान सामने आ गई।
सीएम ने कहा, “हमें ऐसे छुपे हुए शत्रुओं की पहचान समय रहते करनी होगी जो समाज की शांति को नष्ट करना चाहते हैं। इन्हें बेनकाब कर समाज को एकजुट रखने में मदद की जा सकती है।”
कांवड़ यात्रा को लेकर मीडिया पर निशाना
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि जहां मोहर्रम में हथियारों के साथ जुलूसों में अराजकता होती थी, वहीं कांवड़ यात्रा शांतिपूर्वक होती है, जिसमें सभी जाति और वर्ग के लोग भाग लेते हैं। बावजूद इसके, कुछ मीडिया संस्थान कांवड़ यात्रा को गलत ढंग से प्रस्तुत करते हैं।
उन्होंने कहा, “कांवड़ यात्रा को लेकर मीडिया ट्रायल किया जाता है, उसे बदनाम किया जाता है। वहीं मोहर्रम के दौरान हुए उपद्रव पर कोई नहीं बोलता। ये वही मानसिकता है जो भारत की सांस्कृतिक परंपराओं का अपमान करती है और आदिवासी समुदायों को देश से तोड़ने का प्रयास करती है।”
